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“फर्ज, मोहबत और जानबाज़ी की ज़बरदस्त दासतां”
फ़ारान के बादशाह जैनउल्मुल्क की बिनाई चली जाती है। बादशाह की मुल्क बंदर पहली मलिका के बेटे ताज पर बादशाह को अन्धा करने का इलज़ाम लगाया जाता है। तभी शाही नजूमी बतलाता है कि मुल्क नगावली के फूल का अर्क़ निचोड़ने से बादशाह की बिनाई लौट सकती है। ताज गुलेप फूल लाने और अपने पर लगाये गये इलज़ाम को झूटा साबित करने के लिये अपने को पेश करता है। ताज को उसकी वालिदा की ज़मानत पर फूल लाने के लिये रिहा किया जाता है। ताज की देखा देखी में दूसरी मलिका के बेटे हमीद, मोहमद और सेय्यद भी फूल लाने निकल जाते हैं।
सफ़र के दौरान में हमीद, मोहमद और सेय्यद तीनों लखपेशवा नाम की एक जुये बाज़ के धोखे का शिकार हो कर कैद के दिन काटते हैं। तभी गुलेप फूल की तलाश में ताज भी वहाँ आ निकलता है। ताज लखपेशवा को पांसे के खेल में हरा देता है। नतीजा यह होता है कि दूसरों को क़ैद करने वाली लखपेशवा खुद ताज के दामे मोहबत में गरिफ़तार हो जाती है। हमीद, मोहमद और सेय्यद रिहा कर दिये जाते हैं।
ताज और लखपेशवा मिल कर गुलेप फूल तलाश में निकलते हैं। पहाड़ों और जंगलों की खाक छानते वक्त पहाड़ी लोग उन्हें क़ैद कर लेते हैं। वहाँ लखपेशवा की मुलाक़ात उसकी छोटी बहन मेहमूदा से होती है। मेहमूदा अपनी होशयारी से ताज को आज़ाद कर देती है। ताज तलवार बाज़ी के जोहर दिखा कर पहाड़ी लोगों को शिकस्त देता है और लखपेशवा, मेहमूदा को ले कर वहाँ से चल देता है।
ताज लखपेशवा और मेहमूदा को एक सराये में छोड़ कर गुलेप फूल की तलाश में नगावली नगर पहुंचता है। वहाँ मर्दों पर हुकूमत करने वाली बकावली रानी गुलेप फूल हासिल करने के लिये ताज के सामने दो शर्ते रखती है। पहली शर्त, शाही तलवार बाज़ से तलवार बाज़ी में जीतना। दूसरी, फूल की रखवाली करने वाले खुंख्वार शेर से लड़ना। ताज दोनों शर्ते मंज़ूर करता है।
लेकिन................क्या ताज इन शर्तों को पूरा कर सका? क्या वह अपने वालिद की बिनाई लौटाने में कामयाब हुआ? क्या ताज अपनी वालिदा को रिहाई दिला सका।
इन सब सवालों के जवाब रूपहले परदे पर देखिये.........
[From the official press booklet]